काव्य की परिभाषा भेद ओर प्रकार | kavya kise kahate hain Hello दोस्तों, आज की पोस्ट में काव्य गुण के बारे में विस्तार से जानने वाले हैं | इस लेख में हमने आपको काव्य की परिभाषा , भेद प्रकारों को भी विस्तार से समझाया हैं | इस पोस्ट में आपको काव्य से संबंधित सभी जानकारी मिल जाएगी | काव्य की परिभाषा काव्य किसे कहते हैं? किसी काव्य, साहित्य या संग्रह को पढ़ते या सुनने समय मन में जो रस उत्पन्न होते हैं अर्थात् मन में जो आनंद प्रकृत होता हैं उस वाक्य को ही काव्य कहा जाता हैं | काव्य की परिभाषा आचार्य विश्वनाथ के शब्दों में, "वाक्यं रसात्मकं काव्यम्" अनुवाद रस से भरपूर वाक्य को ही काव्य कहा जाता हैं | भामह के शब्दों में, "शब्दार्थो सहिर्तो काव्यं" अनुवाद जिस रचना में शब्द और वाक्य रहते हैं वही काव्य हैं अर्थात् रस युक्त वाक्य ही काव्य है | पंडितराज जगन्नाथ के शब्दों में, "रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्दः काव्यं" अनुवाद रमणीय अर्थ के प्रतिपादक 'धर्म' को ही काव्य मानते हैं | परिभाषा — जिस काव्य में सभी भाव प्रकट होते हैं वही काव्य हैं अर्थात् जिस काव्य मे
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